Saturday, May 15, 2010

""खिदमत में unake"""

नफरत की आदत नहीं थी ,उनसे,...........
फिर
भी चंद लम्हों तक नफ़रत करने की कोशिश की..........
नहीं कर सका नफ़रत मै उनसे,.............
क्यूंकि, इस नासूर सी ज़िन्दगी में एक वही तो थीं,
जिसने
जीने की चाहत दी.............
नफ़रत की आदत नहीं थी , उनसे,.........
फिर
भी.........
सोचा की दूर चला जाऊ उनसे,.........
फिर
याद आई, दिल के आशियाने में एक वही तो थी ,
जिसने
मोहब्बत दी........
नफरत की आदत नहीं थी, उनसे,.........
फिर
भी..........
आईने के सामने खड़े होकर,......
सोचता
रहा मै, की बस उनसे इतनी ही,
आशिकी
की........
नफ़रत की आदत नहीं थी, उनसे,........
फिर
भी..........
बंद कमरे में उनको,.........
कोशता
रहा , उनकी बेवफाई पर, क्या,
मैंने
उनसे वाफाई की??????????

नफ़रत की आदत नहीं थी उनसे,..............
फिर
भी, चंद लम्हों तक नफ़रत करने की कोशिश की.......................

Wednesday, May 12, 2010

एक मआयुशी से ज़िन्दगी ख़तम तो नहीं होती .....
जागते रहो किस्मत बहुत देर तक नहीं सोती ......
दुखी हो तो, दोस्तों की खुशियों में शरीक होवो ......
ज़िन्दगी में नाकामयाबी का स्वाद तो चखो......











रघुवंशी हो तो, राम का सम्मान तो करो.......
गुज़ारिश है, इस हार से खुद को जगाओ.....
किश्मत तो जागेगी, बस बिगुल तो बजाओ.....

धूमिल हुयी पहचान, को फिर से बनाओ......
















"बाबा" में सोते हुए, रहश्य को जगाओ.......