Wednesday, May 12, 2010

एक मआयुशी से ज़िन्दगी ख़तम तो नहीं होती .....
जागते रहो किस्मत बहुत देर तक नहीं सोती ......
दुखी हो तो, दोस्तों की खुशियों में शरीक होवो ......
ज़िन्दगी में नाकामयाबी का स्वाद तो चखो......











रघुवंशी हो तो, राम का सम्मान तो करो.......
गुज़ारिश है, इस हार से खुद को जगाओ.....
किश्मत तो जागेगी, बस बिगुल तो बजाओ.....

धूमिल हुयी पहचान, को फिर से बनाओ......
















"बाबा" में सोते हुए, रहश्य को जगाओ.......

2 comments:

DD said...

highly inspirational.........keep it up.

Unknown said...

bahut karrey baba